
श्री गणेश चतुर्थी व्रत कथा : हैलो भगतगणो आज हम आपको गणेश चतर्थी के बारे में बताने आज रहे है ,चर्तुथी की तिथि भगवान श्री गणेश जी की है हिन्दू धर्म के अनुसार श्री गणेश जी की कृपा प्राप्ति से जीवन के सभी अप्राप्त काम भी पुरे हो जाते है ,शास्त्रों के अनुसार शुक्ल पक्ष की आने वाली अमावस्या को गणेश चतुर्थी श्री गणेश चतुर्थी व्रत कथा कहते है।
कई स्थानों पर गणेश चतुर्थी को गरवा चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन भगवान गणेश जी की पूजा की जाती है भगवान श्री गणेश को विग्नहर्ता भी कहा जाता है ,विग्नहर्ता यानि आपके सभी कस्टो को हर्णे वाले ,इस लिए श्री गणेश चतुर्थी व्रत कथा भगवन श्री गणेश जी को विनायक ,विनाकि ,चर्तुर्थी ,और संकट चतुर्थी का व्रत भी किया जाता है।
प्रति माह आने वाली शुक्ल पक्ष को आने वाली चतुर्थी को विनायक चतुर्थी भी कहते है इस दिन श्री गणेश जी की पूजा करना बहुत ही शुभ माना जाता है। इस दिन भगवान श्री गणेश जी का व्रत और पूजा करने से सभी कस्ट आर्थिक कस्ट सभी दूर हो जाते है।
श्री गणेश जी की व्रत विधि
श्री गणेश चतुर्थी व्रत कथा ;गणेश जी की व्रत विधि इस प्रकार है सुबह ब्रहम मुर्हत में उठकर अपने सभी कार्य से मुक्त होकर स्नान कर ले , और लाल रग के कपडे धारण करे और घर में मन ही मन श्री गणेश जी के व्रत का सकल्प ले और गणेश जी का नाम ले ,और अपने सामर्त्य के अनुसार सोने ,चाँदी मिटी आदि जो भी संभव हो उस को लेके पूजा करे।
पूजा में कलश ,दूर्वा ,नारियल ,पंचामृत ,रोली घी का दिया ,धुप ,अगरबत्ती फूल ,फल ,लड्डू आदि का श्री गणेश जी को समर्पण करे। गणेश जी का विधि पूर्वक पूजा आरती और कथा कहे और सिंदूर लगावे ,इसके बाद श्री गणेश जी का मन्त्र बोले – ॐ गग गणपते नमः 21 बार बोले और अपनी इच्छा से मोतीचूर के लड्डू चढ़ाये 5 ,7 ,11 जो भी आप से बन पाए। और दान दक्षणा भी रखे। श्री गणेश चतुर्थी व्रत कथा
और पूजा आदि पूरी होने के बाद आप प्रसाद को बाटे और थोड़ा सा खुद भी खा सकते है और रात्रि में आप फल ,दूध, मीठे में कुछ भी खा सकते है और नमक का सेवन न करे। इस व्रत को आप पूरी सरधा और भक्ति के साथ करे,और जो भी आप की इच्छा हो भगवान श्री गणेश जी से कहे और पूरी सारधा बनाये रखे गणेश जी महाराज आपकी मनोकामना अवश्य ही पूरी करेंगे।
भगवान श्री गणेश जी की कथा
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श्री गणेश चतुर्थी व्रत कथा : एक बार भगवान संकर और गौरी नर्मदा नदी के किनारे बैठे थे। फिर माता गौरी ने समय को व्तीत करने के लिए संकर जी से कहा – हे प्रभु हम आप के साथ चौपड़ खेलना चाहते है ,तब संकर जी ने कहा – हे गौरी यहाँ हार और जीत का फैसला करने वाला कोई नहीं है फिर माता गौरी ने कुछ तिनको को इकट्ठा किया कर उस में जान फूक दी और कहा – बेटा हम यहाँ चौपड़ खेल रहे है तुम यह खेल देखना और हार जीत का फैसला करना।
तब उस पुतले ने कहा – ठीक है माता और फिर माता गौरी और भगवान संकर में खेल शरू हो गया और यह 3 बार खेला गया और सयोग से माता गौरी तीनो बार जीती फिर माता गौरी और संकर जी ने उस बालक से पूछा पर बालक ने भगवान संकर को विजेता बतया।
इस बात से नाराज होकर माता गौरी ने उस बालक को विकलांग होने का श्राप दे दिया फिर उस बालक ने माता गौरी से क्षमा माँगी और रोने लगा तब माता ने उस से कहा – हे बालक कुछ वर्षो बाद यहाँ नाग कन्याए आएगी और वह गणेश व्रत श्री गणेश चतुर्थी व्रत कथा की विधि करेगी तब तुम यह सब देखना और व्रत के बारे में उन से पूछना।
एक वर्ष बाद वहाँ नागलोक की कन्या आई फिर उस बालक ने उन से गणेश जी का व्रतऔर विधि को पूछा और व्रत किये। तब भगवान श्री गणेश जी उस से खुश होकर कहा – की तुम क्या मांगते हो मुझसे तब उस बालक ने कहा – में अपने पैरों से चलकर अपने माता पिता के पास जाना चाहता हूँ।
श्री गणेश चतुर्थी व्रत कथा ;फिर भगवान श्री गणेश जी ने वरदान दे दिया और अंतर्धान हो गए फिर वह बालक कैलाश पर गया ,और माता गौरी ,संकर जी से मिला और सारी बात बता दी। यह कथा भगवान श्री गणेश जी के व्रत की कथा गणेश चतुर्थी के बारे में है। धन्यवाद
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